राह दिखा दो हे भगवन्

मन द्विविधा में है भटक रहा स्नमार्ग दिखा दो हे भगवन्,
सत्कर्म और अपनी भक्ति की राह दिखा दो हे भगवन्,

तुम जगत् नियंता और रचयिता हो सारी सृष्टि के।
मैं अज्ञानी हूं दुनियां में तुम कठिन परीक्षा लेते हो॥

इस भवबंधन के लोभ मोह कष्टों से कैसे मुक्ति मिले।
तेरी लीला तूं ही जाने हम शरण तिहारी हे भगवन्॥

प्रभु तुम तो अंतर्यामी हो हर बात जानते हो मन की।
व्याकुलता और व्यग्रता अब सुलझा दो हे भगवन् ॥

अर्द्धचंद्रधारी त्रिपाठी
श्रेणी
download bhajan lyrics (623 downloads)