श्याम कैंदा फिरे नी चढ़ालो चूड़ियां
नी चढ़ाले चूड़िया प्रीता पालो गूड़िया
श्याम कैंदा फिरे...
सिर ते गठरी ते हथ विच डंडा
कोई सखी आके चढ़ाले चूड़िया
श्याम कैंदा फिर...
छतपे खड़ी है राधा पुकारे
आजा चुड़ी वाले चढ़ा दे चूड़िया
श्याम केंदा फिरे...
शामने सिर से गठरी उतारी
डियोढ़ी में बैठ गए बांके बिहारी
कैन सखी कैंदी चढ़ा चुड़िया
श्याम कैंदा फिरे...
श्याम ने राधा की पकड़ी कलाई
पकड़ी कलाई और उंगली दबायी
ओबोल सखी कैसी चढ़ाऊं चुड़िया
श्याम कैदा फिरे...
ये तो सखी है वही नन्दलाला
अन्दरो वी काला ते बाहरो वी काला
कोई सखी इससे न चढ़ाना चूडियां
श्याम कैंदा फिरे...