अब तो मैं हरी से लगन लगाऊ मैं हरी नाम नित गाऊ,
रमता जोगी बेहती नदी सा मैं हरी तीर्थ मंदिर जाऊ,
तेरा दर्शन करके प्रबु मैं सब पापो से तर जाऊ,
मैं हरी नाम नित गाऊ,
जग छोड़ा सब परिजन छोड़ा,
भव भंदन की सब माया छोड़ी
संत के संग बेठ प्रभु मैं तेरे चरणों में रम जाऊ,
मैं हरी नाम नित गाऊ,