तर्ज- में से बिना तेना साकी से....
जर से जमी से ना जन्नत से
ना जमाने से दिल बहलता है मेरा , बाबोसा के गुण गाने से
आप के गुण गाने से , आप के गुण गाने से
सुर से ,साजो से ही, सरगम पे गुनगुनाने से
दिल बहलता है मेरा आपके गुण गाने से
आपके गुण गाने से आपके गुण गाने से
ख्वाब में चुरू का नक्शा आ गया जब सामने ,
बाबोसा को मैने देखा नैन खुले तो लगा ढूँढने ,
जन्नत की बहारों से ना परियों के ,
मुस्कुराने से दिल बहलता है मेरा आपके गुण गाने से
आपके गुण गाने से आपके गुण गाने से
एक दिन में भी जाऊँगा ,बाबोसा दरबार मे
मंजू बाईसा का शैलू ,दिलबर संग पाऊँ,
आशीर्वाद में मोती से ना हिरो से ना जेवर से ,
ना किसी खजाने से
दिल बहलता है मेरा आपके गुण गाने से ,
आपके गुण गाने से आपके गुण गाने से,
आपके आ जाने से आपके आ जाने से
जर से जमी से ना जन्नत से
ना जमाने से दिल बहलता है मेरा ,
आप के गुण गाने से
आप के गुण गाने से , आप के गुण गाने से
।।सिंगर - शेलेन्द्र नीलम मालवीया ।।
(प्रजापति ) इंदौर
।।रचनाकार।।
दिलीप सिंह सिसोदिया