तूँ बंदे क्या जाने माता के चमत्कारों को
माता के चमत्कारों को, माता के चमत्कारों को
तूँ बंदे क्या जाने...
वो हरे करे सूखों को, मेवा बांटे भूखों को
वो भक्त धिआनु जैसे, करे ज़िंदा मरे हुओं को
उस भक्ति को, उस शक्ति को,
कोई सुलझी आँख पहचाने, माता के चमत्कारों को
तूँ बंदे क्या जाने...
गर जीवन सागर तरना, तूफानों से क्या डरना
उसकी ही रज़ा में जीना, उसकी ही रज़ा में मरना
तूँ सुमरिन कर, और जीवन भर,
माने जा उसके कहने, माता के चमत्कारों को
तूँ बंदे क्या जाने...
यह दुःख सुख ऐसे गहने, जो हर इक के संग रहने
यह दर्द जुदाईओं वाले, सह ले जो पड़ गए सहने
बदलेगा समय, तूँ जप ले नाम,
बस उसी ने मेल कराने, माता के चमत्कारों को
तूँ बंदे क्या जाने...
तूँ छुप छुप पाप कमावें, समझे कोई देख न पावे
मईया के नैन हज़ारों, उसे सब कुछ नज़र है आवे
तूँ करता जो, उसने प्रकट हो,
सब भक्त किनारे लाने, माता के चमत्कारों को
तूँ बंदे क्या जाने...