जिस दिन से गया है श्याम मेरा,
बस गम से ही नाता जोड़ लिया ।
दृग बिन्दु टपकते हैं फिर क्यों,
धनश्याम से नाता जोड़ लिया ।।
जिस दिन से....
जिस पथ से चलने को कहते,
उस पथ को कभी जाना ही नहीं ।
जिस ब्रह्म में रमने को कहते,
उसको हमने देखा ही नहीं ॥
उस ब्रह्म में उद्धव तुम रमना,
मेरा मन तो चितचोर लिया ।।
जिस दिन से....
पगली दिवानी बन गोपी,
बोली धनश्याम की मस्ती में ।
मटकी फोड़ी माखन चोरी,
वंशी धुन गूँजे बस्ती में ॥
मेरे दिल का टुकड़ा श्याम पिया,
हमको क्यों दुःख में छोड़ दिया ।।
जिस दिन से....
उद्धव ने सुना मटकी फूटी,
ग्वालों की कुछ आवाज सुनी ।
मुरली धुन जब कानों में गई,
उद्धव की वह सब जोग भुनी ॥
अब कान्त गोपियों की मस्ती,
उद्धव को अपनी ओर किया ।।
जिस दिन से....