जय जय अन्नपूर्णा माई,
जय जय अन्नपूर्णा माई।
रिद्ध सिद्ध अन्न धन्न वरदाती, जग तारन नूँ आई।।
जग दे सकल पदार्थ देखे, तेरे मात भण्ड़ारे,
राजा रंक फकीर पए मंगदे, मंगदी फिरे खुदाई।
जय जय.......
देवी देव ध्यावन, पावन पार न ग्रंथ कतेबां,
युग युग अंदर महिमां तेरी, ऋषियां मुनियां गाई ।
जय जय.......
कण कण तेरा नूर समाया, सब जग चानन होया,
मुंह मंगिया वर पावन सारे, सब दी आस पुचाई ।
जय जय.......
जीव जन्त रशपाल भवानी, शरणागत प्रितपाली,
कहे ‘‘मधुप’’ महासंकट हरणी, पल पल होत सहाई ।
जय जय....... ।