सिया राम लखन वनवास चले दसरथ के दर्द को क्या जाने

सिया राम लखन वनवास चले दसरथ के दर्द को क्या जाने

आस में सास अटकी थी टूट गई
पिता जी के दर्द को न पहचाने
नैना पथरा गए राहे तक के
मौत आकर खड़ी थी सिर हाने
सिया राम लखन वनवास चले दसरथ के दर्द को क्या जाने

अंतिम ईशा भी न पूरी हुई
कोश्याला लगी अनसु बहाने
कंधा भी नही दे अर्थी को
उलटे लगे संज को समजाने
सिया राम लखन वनवास चले दसरथ के दर्द को क्या जाने
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