कालो के भी काल के हम भक्त है महाकाल के,
भारत देश है हम को प्यारा रखेगे सम्बाल के 
हम भक्त है महाकाल के 
विष का प्याला पी कर के नील कंठ कहलाये भोले 
रख लपेटे मुर्दों की श्मशानो के स्वामी भोले 
रूप अनोखा भोले तेरा अधाम्भर को टाल के 
हम भक्त है महाकाल के 
रन चंडी माँ बनी थी काली बूंद बूंद लहू की पी डाली 
शांत किया था माँ काली  को वरना शिर्ष्टि होती काली 
आँखों में भटके है ज्वाला जीबा को निकाल के 
हम भक्त है महाकाल के 
भुत प्रेत सब साथी तेरे सब साथी तेरे 
कुण्डी सोटा बगल में तेरे 
अविनाशी हो केलाशी हो पर्वत उपर डेरे तेरे 
सावन में यु नगर बोले काँधे कावड डाल के 
हम भक्त है महाकाल के