रे धने गजब का मोसम गोरा भांग पीला दी ने
न घुट ती तेरी भांग ये दोनों हाथ जुड़ा ले ने,
मेरी नर्म नर्म ये कलाई भोले कुछ तो दया कर ले,
रे सावन सावन नही दया च जी कर ला करले,
अछाना घना भोले तू मन समजा ले ने ,
न घुट ती तेरी भांग ये दोनों हाथ जुड़ा ले ने,
रोज की आद्दत से बहाना क्यों ले रेहा सावन का
रे जान गया तेरा आज जी कर रहा नाठन का,
तने सेवा कर्ण की कही थी याद तू कर ले बाटी ने,
न घुट ती तेरी भांग ये दोनों हाथ जुड़ा ले ने,
रे टप टप बूंद पड़े गोरा झूमन ने जी कर रेहा से
छाले पड़ गे हाथा में बस ताने कही सर रेहा से,
भांग धोटने की भोले तू मशीन मंगा ले
न घुट ती तेरी भांग ये दोनों हाथ जुड़ा ले ने,