नटखट छैल छबीलो मोहन वनवारी नन्द लाल
मधुर मुरलियां श्याम भजावे
अजब है झाकी चाल
मेरा तिरशे नैनो वाला संवारा लागे बड़ा कमाल
माथे मुकट विराज रहे है कानो में कुंडल सोहे
सुंदर है शिंगार श्याम का भगतो का मन मोहे
पट पिताम्भर दिल को चुराए कमर में पटको लाल
मेरा तिरशे नैनो वाला संवारा लागे बड़ा कमाल
अँखियाँ में कालो काजल है घुँघर लट मत वाली
पैरो में भाजे पेजनिया हिया जाऊ मैं वारि वारि
चुरावे माखन रास रचावे मोहन करे धमाल
मेरा तिरशे नैनो वाला संवारा लागे बड़ा कमाल
किरपा तुम बरसाते रहना मधु सुधन वनवारी
आदर्स कुछ न मांगे तुम से चाहे शरण तिहारी
सुमित भी संग अर्जी लगाये सुन लो संवारे हाल,
मेरा तिरशे नैनो वाला संवारा लागे बड़ा कमाल