मेरा जो यार है वो लखदातार है ,
इनकी किरपा से चलता मेरा परिवार है,
दुनिया से जो हारा ये देता उसे सहारा,
लाखो भगतो का जीवन इसने पल भर में संवारा,
जितना भी मांग लो देता हर बार है,
इनकी किरपा से चलता मेरा परिवार है,
जो जगत सेठ कहलाते वो भी यह मांग ने आते,
पैदल चल कर चरणों में आ कर शीश जुकाते,
चौकठ पे मांगने आता सरकार है,
इनकी किरपा से चलता मेरा परिवार है,
जो जैसे भाव है लाता ये वैसा ही फल देता,
लाखो से झोली भरता बदले में कुछ न लेता,
मोहित पे श्याम के कितने उपकार है,
इनकी किरपा से चलता मेरा परिवार है,