मोहनी मुरलियाँ अब बजाते क्यों नहीं,
अपनी राधा से मिलने आते क्यों नहीं
तेरे बिना सुना कान्हा दुनिया जहां है,
सुना सुना गोकुल नगरी मथुरा का धाम है,
गोकुल के वासी है अब बाहते क्यों नहीं,
अपनी राधा से मिलने आते क्यों नहीं
याद में तुम्हारे सूखे पेड़ो के पात है,
गइयाँ उदास सुने यमुना के घाट है,
अब गोपियों को सताते क्यों नहीं,
अपनी राधा से मिलने आते क्यों नहीं
चीयर हरण की अब सुनते क्यों न पुकार है,
सोच के रोते अमर राज कुमार है,
कलयुग में कांसो को मिटाते क्यों नहीं,
अपनी राधा से मिलने आते क्यों नहीं