हे संतोषी माँ जय माँ तेरी शरण रहू मैं सदा
माँ संतोषी माँ जय माँ ...
हर शुकर वार माँ तुझको मनाऊ निष् दिन तेरी महिमा गाऊ,
वर्त भी करू माँ तेरे नाम का चरणों में मैं तेरे शीश निभाऊ
दुभा रहता मैं तेरी ही धुन में
याहा भी मैं देखू बस तुझे पाऊ,
माँ संतोषी माँ जय माँ ...
अंगना मैं अपने मैं चाह को पुराऊ
मूरत है तेरी महिमा गाऊ करता हु पाठ मैं तेरी कथा का
खुद भी गाऊ और सब को सुनाऊ
गुड और चने का भोग लगा के
जीवन अपना मैं धन्ये बनाऊ
माँ संतोषी माँ जय माँ ...
संतोषी माँ संतोष की देवी सुख समृधि धन धान की देवी
शिव गोरा की बड़ी हो प्यारी
गणपति जी की राज दुलारी
करते है माँ हम तेरा ही सुमिरन,
बड़ी ही आँखों माँ तू भोली भाली
माँ संतोषी माँ जय माँ ...