सुन ले कृष्ण कन्हियाँ तेरी बंसी के सुर जब बजईया
मन नाचे ता ता थाईया,
गाऊ जब मैं तेरे भजन हो जाते सब लोक मगन
बचे बूढ़े सारे मिल के करते मेरे संग तेरा बंधन
कोई झूमे और गाये कोई तालियाँ भ्जाये कोई आंखे बंद करके मन ही मन गुनगुनाये
तेरी प्रीत में सुध बुध खो कोई करता नाच नचियाँ,
सुन ले कृष्ण कन्हियाँ तेरी बंसी के सुर जब बाजे
मन जब भी गबराता है तेरे भजन ये गाता है
उल्जन कैसी भी आ जाए तू ही उसे सुल्जाता है,
चाहे कष्ट आये या गम कोई सताए
तेरे भजनों के संग में मन हर दम मुस्कुराए
अंकुस क्या डर दुनिया का जब कान्हा है रख वियां,
सुन ले कृष्ण कन्हियाँ तेरी बंसी के सुर जब बाजे