कान्हा करे बरजोरी

कैसे जाऊं खेलन को होरी,
सखी कान्हा करे बरजोरी....

मुरली बजाई ऐसे सांवरिया,
सुध बुध खोई भई बावरिया,
तब ही रंग डारयो बनवारी,
भीज गई रेशम की सारी,
वो छलिया करे चित्तचोरी,
सखी कान्हा करे बरजोरी.....

उड़त  गुलाल रंगे घर आँगन,
फाग मच्यो ऐसो वृन्दावन,
नन्दलाल गिरत पनघट पर,
भर पिचकारी मारी मोरे घूँघट पर,
श्याम रंग में रंगी हर गोरी,
सखी कान्हा करे बरजोरी.....
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