तर्ज – जिंदगी की ना टूटे लड़ी
मेरी नैया भंवर में पड़ी,
तुमको आना पड़ेगा हरि,
आज विपदा क्यों आन पड़ी,
आज विपदा क्यों आन पड़ी,
मुझे आके सम्भालो हरि,
मेरी नईया भंवर में पड़ी,
तुमको आना पड़ेगा हरि.....
तेरे होते ये क्या हो रहा,
नैया डूबेगी अब लग रहा,
मुझको ऐसा क्यों लगता है श्याम,
मेरी अर्जी ना तू सुन रहा,
अब जरुरत है आन पड़ी,
तुमको आना पड़ेगा हरि,
मेरी नईया भंवर में पड़ी,
तुमको आना पड़ेगा हरि......
मैंने तुझको था साथी चुना,
अब ढूँढू मैं किसको बता,
तूने हरपल सहारा दिया,
क्या गलती मेरी तू बता,
मेरी पकड़ो कलाई अभी,
तुमको आना पड़ेगा हरि,
मेरी नईया भंवर में पड़ी,
तुमको आना पड़ेगा हरि.....
तेरे होते ना चिंता मुझे,
सोच के था मैं आगे बढ़ा,
गर डूबा भवर में प्रभु,
पंकज पूछेगा तुमसे सदा,
लाज जाएगी तेरी हरि,
तुमको आना पड़ेगा हरि,
मेरी नईया भंवर में पड़ी,
तुमको आना पड़ेगा हरि.....
मेरी नैया भंवर में पड़ी,
तुमको आना पड़ेगा हरि,
आज विपदा क्यों आन पड़ी,
आज विपदा क्यों आन पड़ी,
मुझे आके सम्भालो हरि,
मेरी नईया भंवर में पड़ी,
तुमको आना पड़ेगा हरि......