बेटा शरवण पाणीड़ो पिलाय ,
वन में बेटा प्यास लगी,
आला लीला बांस कटाया ,
कावड़ ली रे बनाय,
मात पिता ने माय बिठाया ,
तीर्थ करवा ने जाय,
बेटा शरवण। ……..
ना कोई है कुआ बावड़ी ,
ना कोई समंद तलाव,
तब शरवन ने मन में सोची ,
कहा जल पाउ मारी माई,
वन में बेटा प्यास लगी।
बेटा शरवण। ……..
ऊचा निचा कदम के ऊपर ,
बगुला उड़ उड़ जाय,
तब सरवन ने मन में धारी ,
अब जल पाउ मारी माई,
वन में बेटा प्यास लगी,
बेटा शरवण। ……..
ले जारी अब शरवन चाल्यो ,
गयो शरवर रे पास,
जाय नीर जकोरियो रे ,
दशरत मारियो शक्ति बाण,
वन में बेटा प्यास लगी,
बेटा शरवण। ……..
दशरत वहा से चालियो रे ,
आयो शरवण रे पास,
है विधाता क्या कर डाला ,
मारियो भांजा रे बाण,
वन में बेटा प्यास लगी,
बेटा शरवण। ……..
मरतो शरवण बोलियों रे ,
सुण मामा मारी बात,
अँधा है मारा मात पिता जी ,
वाने पाणीड़ो पिलाये,
वन में बेटा प्यास लगी,
बेटा शरवण। ……..
ले जारी अब दशरत चाल्यो ,
गयो कावड़ रे पास,
ठंडो जल भर लायो जारी ,
अब जल पियो मारी माई,
वन में बेटा प्यास लगी,
बेटा शरवण। ……..
नहीं शरवण की बोली कहिजे ,
नहीं शरवण की चाल,
मात पिता तो स्वर्ग सिधारिया ,
दशरत ने दिनों वठे श्राप,
वन में बेटा प्यास लगी,
बेटा शरवण पाणीड़ो पिलाय ,
वन में बेटा प्यास लगी,
अजय जांगिड़ खूड़ 8058333070