ऐ मेरे स्वामी अंतरयामी नित जपते तेरा नाम
तेरे भरोसे छोड़ दी नैया तू जाने तेरा काम
ऐ मेरे स्वामी अंतरयामी
जीवन के गेहरे सागर में उठ ते है तूफ़ान
छलके अखियाँ रोये मनवा बेबस हु भगवान
तेरी किरपा हो जाए जिस पे मिलता सुख आराम
ऐ मेरे स्वामी अंतरयामी
तेरे पावन चरण को छु के पत्थर भी तर जाते
टूटी डाली से गूजे भी मधुवन सा मुस्काते
पल पल ढलती जाए भगवन इस जीवन की शाम
ऐ मेरे स्वामी अंतरयामी...
तेरे चरण की धुल से मैंने सुख के मोती पाए ,
तूफ़ान भी मुख मोड़ ले अपना तू जो कर्म कमाए
केवल तेरी प्रीत है साँची छुटे न तेरा धाम
ऐ मेरे स्वामी अंतरयामी