ढूंढती फिरती हूँ तुझको कब मिलोगे सांवरे 
क्यों कहीं दीखते नहीं हो नैना हुए मेरे बावरे
ढूंढती फिरती हूँ तुझको ..........
द्वारिका मथुरा गई मैं बरसाने गोकुल गई 
मीरा तो बी बन पाई ना देख रे क्या बन गई 
हे कन्हैया बंसी बजैया दुखने लगे मेरे पाँव रे 
ढूंढती फिरती हूँ तुझको ..........
आरज़ू देखूं तुझे अब मन कहीं लगता नहीं 
देख ली दुनिया तेरी पर चैन भी मिलता नहीं 
हर घडी बस आस तेरी बैठी कदम्ब की छाँव रे 
ढूंढती फिरती हूँ तुझको ..........
तुम तो घट घट में बेस हो फ्री प्रभु देरी ये क्यों 
सांवरे नहीं सुन रही हो प्रार्थना मेरी ये क्यों 
लेहरी नैया के खिवैया दर्शन मुझे दे सांवरे 
ढूंढती फिरती हूँ तुझको ..........