श्रीकृष्ण मेरे उर में, बस आप बसे रहना,
जब भटके मन मेरा, तुम थाम लिया करना,
दुनियाँ तो है सब झूँठी,इक आप सहारे हो,
ठुकरायें सभी तो क्या,जब आप हमारे हो
त्रय-तापों से का, प्रभु आप किया करना,
श्रीकृष्ण मेरे उर में, बस आप बसे रहना,
जब भटके मन मेरा, तुम थाम लिया करना,
टूटे न आस मेरी, छूटे न साथ तेरा,
दुनियाँ के डर से मन, जब हो उदास मेरा,
तब-तब हे दयासागर, मन मोद मेरे भरना,
श्रीकृष्ण मेरे उर में, बस आप बसे रहना,
जब भटके मन मेरा, तुम थाम लिया करना,
(गीत रचना- अशोक कुमार खरे)