दिखाया जलवा श्याम सेठ ने

खाने के पड़े लाले भंडार खोल डाले,
घर में गरीब के,
दिखाया जलवा श्याम सेठ ने ,

काश मैं ये पहले जान पाटा दर दर आंसू न बहाता,
आ जाता जो श्याम की शरण में होता न कलेश कोई मन में,
मैंने सब को अजमाया कोई काम नही आया
मुश्किल के वक्रत में
दिखाया जलवा श्याम सेठ ने ,

अपने सभी हो गए बेगाने सुन ने पड़े ताने और उल्हाने,
जीवन की खत्म हुई आशा टूट गई आशा और निराशा ,
च्न्गाल हुआ एसा बेहाल हुआ एसा केसे व्यान करू,
दिखाया जलवा श्याम सेठ ने ,

भटक रहा अफात का मार टूटी नैया दूर था किनारा ,
थाम ली कल्हाई मेरी श्याम ने,
आके बना हारे का सहारा,
लिखे कृष्ण ब्रिज वासी हुई दूर सब उदासी बाबा के धाम में,
दिखाया जलवा श्याम सेठ ने ,
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