गुरु जी दुखिया खड़े जो तेरे द्वार

कर दे सभी पे उपकार,
गुरु जी दुखिया खड़े जो तेरे द्वार हिया
कर दे सभी पे उपकार

बिन तेरी मर्जी इक भी पता कभी न गिरे डाल पे
अपने भगत की बिगड़ी बना के पल में जीवन सवार ते,
कर दे कर्म तू इस बार गुरु जी दुखिया खड़े जो तेरे द्वार हिया
कर दे सभी पे उपकार

जितना चरण सुख बरसे वाहा पे वो न और कही पे पाऊ,
हे महादानी वो वरदानी तुझपे बलिहारी जाऊ
जीने का तू ही आधार गुरु जी दुखिया खड़े जो तेरे द्वार हिया
कर दे सभी पे उपकार
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