रामासा थारा दर्शन की मन मे लागी रे
कलयुग रा हो अवतारी,रूणिचा आप विराजै
भक्ता री पैदल टोल्या आगी रे़
बाबा ने मनावण आयी,फूला रो हार मे लायी
रूणिचा धोकण मे तो आगी रे़
दुनिया मे पर्चा दिना, दुखिया रा दुख मिटाया
थारी भक्ति मे शक्ति आगी रे़
निर्धन ने माया देवे ,कोढिया रा कोढ मिटावे
काया तो कंचन करबा आगी रे़
मुकेश दिवाना भजन बणावे,चरणा माही शीश नवावे
भजना सु प्रित प्यारी लागी रे