भला करो तो भला ही होगा, बुरा करो तो बुरा होगा

भला करो तो भला ही होगा, बुरा करो तो बुरा होगा,
वक़्त गुजरता जाए वन्वारे फिर जाने क्या क्या होगा,

जैसा कर्म किया है जिसने वैसा ही फल पायेगा,
बोया पेड़ बबुल का पगले आम काहा से पायेगा,
झूठ फरेब में क्या रखा है सच की सच का सिला होगा,
वक़्त गुजरता जाए वन्वारे फिर जाने क्या क्या होगा,

धर्म की आड़में पाप करे जो वो न कभी सुख पाता है,
पाप की आंधी में वो फस के पग पग ठोकर खाता है,
पति की राह में जो भी चला है उसको सुख न मिला होगा,
वक़्त गुजरता जाए वन्वारे फिर जाने क्या क्या होगा,

बिना स्वार्थ इस धरती पर कितने प्रीत निभायी है,
पथ की राह में चला जो उसने मंजिल पाई है,
क्यों कोसे तकदीर को अपनी काहे किसी से गिला होगा,
वक़्त गुजरता जाए वन्वारे फिर जाने क्या क्या होगा,

तोड़ के नफरत की दीवारे प्यार की ज्योत जगा बंदे,
प्रभु चरन से प्रीत लगा के जीवन सफल बना बंदे,
केवल खाली तू आया खाली हाथ विदा होगा,
वक़्त गुजरता जाए वन्वारे फिर जाने क्या क्या होगा,

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