तेरे कदमो में माँ मिल गई जब जगह,
और कुछ मांगे ने की जरूत नही,
तेरी सूरत वसी दोनों नैनो में माँ
और कुछ देखने की जरूरत नही
तेरे कदमो में माँ मिल गई जब जगह,
और कुछ मांगे ने की जरूत नही,
जब से सिर पर रखा तूने माँ हाथ है
हो गई पूरी माँ मेरी हर बात है
इक दर से ही जब जो भी चाहा मिला
दर बदर झाँकने की जरूत नही
तेरे कदमो में माँ मिल गई जब जगह,
और कुछ मांगे ने की जरूत नही,
गम की धुप में माँ जब ये काया जली
बन के छाया तू माँ मेरे संग संग चली,
ये निगाहें टिकी तेरी सूरत पे माँ,
तुझसे सुंदर जमाने में मूरत नही
तेरे कदमो में माँ मिल गई जब जगह,
और कुछ मांगे ने की जरूत नही,