मेरी लगी मईया संग प्रीत

मेरी लगी मईया संग प्रीत, दुनियाँ क्या जाने ll
क्या जाने कोई क्या जाने ll
मेरी लगी मईया संग प्रीत,,,,,,,,,,,,,,,,,

छवि लखी मैंने माँ की जब से
हुई बावरी मैं तो तब से
बाँधी प्रेम की डोर मईया से
नाता तोड़ा मैंने जग से
ये कैसी lll, निराली प्रीत, दुनियाँ क्या जाने
मेरी लगी मईया संग प्रीत,,,,,,,,,,,,,,,,,

मईया की सुन्दर सूरतिया
मन में बस गयी माँ की मूरतिया
जब से ओढ़ी लाल चुनरिया
लोग कहे मैं भई रे बावरिया
मैंने छोड़ी lll, जग की रीत, दुनियाँ क्या जाने
मेरी लगी मईया संग प्रीत,,,,,,,,,,,,,,,,,

हर दम अब तो रहूँ मस्तानी
लोक लाज दीनी बिसरानी
रूप राशि अंग अंग समानी
हेरत-हेरत रहूँ दीवानी  
मैं तो गाऊँ lll, ख़ुशी के गीत, दुनियाँ क्या जाने
मेरी लगी मईया संग प्रीत,,,,,,,,,,,,,,,,,

निस दिन तेरी ज्योत जगाऊँ
भक्ति करूँ माँ के गुण गाऊं
मन चाहा फल माँ से पाऊं
मेरी भक्ति lll, मेरा मन मीत, दुनियाँ क्या जाने
मेरी लगी मईया संग प्रीत,,,,,,,,,,,,,,,,,
अपलोड कर्ता- अनिल भोपाल
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