सर पे मेरे हाथ फिराये मोरछड़ी लेहराता है
जब भी मेरा दिल गबराए खाटू वाला आता है,
सर पे मेरे हाथ फिराये मोरछड़ी लेहराता है
आंसू पोंछे मुझसे बाबा बेहना क्या मज़बूरी है
इक तू समजे भाषा इनकी फिर केहना क्या जरुरी है
हाथ तेरा हो सिर पे मेरे संकट भी गबराता है,
सर पे मेरे हाथ फिराये मोरछड़ी लेहराता है
घर से निकलते ही मेरे बाबा सिर तूफ़ान मंडराता है
हर दुःख गम क्यों तेरे होते मुझको क्यों तडपाता है
भटकू जब भी राह से बाबा मंजिल तक पहुंचाता है
सर पे मेरे हाथ फिराये मोरछड़ी लेहराता है
कांटो भरी है राहे जग की इनपे मैं न चल पाऊ,
मेरे अपने मुझको गिराते गिर के मैं न उठ पाऊ,
बीच भवर जब हो मेरी नैया तू माझी बन आता है
सर पे मेरे हाथ फिराये मोरछड़ी लेहराता है
झूठी दुनिया में इक बाबा सांचा तेरा द्वार मिला
दास विन्याक और श्रुति को तेरा ही आधार मिला
साथी बन कर श्याम हमारा हर पल साथ निभाता है
सर पे मेरे हाथ फिराये मोरछड़ी लेहराता है