कावड़ कैसे ल्याऊं मैं

मेरा भी जी कर रहया भोले, हरिद्वार मैं आऊ मैं
लोक्डाउन लग्या भोले नाथ ,बता कैसे कावड़ ल्याऊं मैं
         
जब जब कावड़ मेला आवै,मस्ती चढ़ती जावै सै
तेरे तै मिलने को भोले, मेरा मन ललचावै सै
तेरे धाम पै आकै भोले,कैसे धूम मचाऊं मैं

हरिद्वार आवण की भोले, कावड़ियों की फुल्ल त्यारी
कोरोना के कहर तै भोले, डर री सै दुनिया सारी
झठ नही कह रहया ओ भोले, बिल्कुल साच बताऊ मैं

देर करो ना भोले नाथ जी, जल्दी कुछ इंतजाम करो
नेत्र तीसरा खोल कोरोना, का अब काम तमाम करो
कावड़िये तेरे खुश हो ज्यांगे, औऱ नही कुछ चाहूँ मैं

भीमसैन की इतनी अर्ज़ी ,सुणले भोले भण्डारी
फेर देखकै दुनिया दंग रह ज्यागी, भीड़ लगै ईतणी भारी
तेरे कर कै दर्शन भोले नाथ, फेर फूल्या नही समाऊं मैं
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