गज पर होकर सवार महालक्ष्मी आई है
भक्तों कर लो दिदार महालक्ष्मी आई है
सिर पर मैया के मुकुट विराजे
गले में रत्नों का हार महालक्ष्मी आई है
गज पर होकर सवार महालक्ष्मी आई है
सुख संपत्ति की दाता महालक्ष्मी
भरती है सारे भंडार महालक्ष्मी आई है
गज पर होकर सवार महालक्ष्मी आई है
भर देंगी झोली मुरादो से पूरी
मैया देंगी अपार महालक्ष्मी आई है
गज पर होकर सवार महालक्ष्मी आई है
भक्तों ने चरणों में शीश झुकाया
कर दो मैया बेढ़ा पार महालक्ष्मी आई है
गज पर होकर सवार महालक्ष्मी आई है