तूने अखियो से पिलाई मस्ती हम को यु चडाई,
मैं नाचू लेके तेरा नाम जरा सी और पिला दे श्याम
मैंने सुध बुध खो दी जब से चढ़ गई तेरे नाम की मस्ती
मैंने लोग कहे मुझे पागल दीवानी वो क्या जाने तेरी हस्ती
मैं ध्याऊ तुज्को आठो याम
जरा सी और पिला दे श्याम
मेरी नस नस में तू समाये तेरा नशा सिर चढ़ के बोले
तूने मुझको एसी पिलाई श्याम मेरा तन मन ये डोले,
नशा ये उतरे न घनश्याम
जरा सी और पिला दे श्याम
मैं तो डूभी ओ सांवरियां तेरे प्रेम के रंग रस में
छोड़ के दुनिया दारी सारी हो गई कान्हा तेरे वश में
है काली शर्मा का अरमान
जरा सी और पिला दे श्याम