रींगस के आगे खाटू का गांव,
गांव ये बाबा रहता है,
हारे का साथी श्याम मेरा सारा ज़माना कहता है,
लेकर के निशान हाथ में कोई पैदल जाता है,
पेट प्लानियाँ जाता कोई लेट के जाता है,
कदम मिला भगतो के संग में चलता नंगे पाँव,
रींगस के आगे खाटू का गांव,
गांव ये बाबा रहता है,
मोरछड़ी हाथो में सोहे घुंगराले है बाल,
नीले की अश्वारी करता एहलवती का लाल,
उसको उतना देता बाबा जिसके जितने भाग,
रींगस के आगे खाटू का गांव,
गांव ये बाबा रहता है,
जब जब फागुन में बाबा का मेला आता है,
श्याम कहे तुमसे मिलने को मन ललचाता है,
दर्शन पाके पूरा होता मेरे मन का चाव,
रींगस के आगे खाटू का गांव,
गांव ये बाबा रहता है,