चलो सखी यमुना किनारे (महारास)

धुनः परदेसीयों से न अखीयां मिलाना

चलो चलो चलो सखी यमुना किनारे।
यमुना किनारे आए श्रीकृष्ण प्यारे॥

महारास रचने आए सांवरिया।
ले ले नाम, पुकारे बांसुरिया॥
आज साक्षात होंगे मिलन हमारे - चलो चलो...

इन्द्रियों ने किया जो रस पान है।
उसी कृष्ण रस का हो रहा ध्यान है॥
मन में बसे मनमोहन मुरली वारे- चलो चलो...

‘मधुप’ सखी हम, बड़े भाग्य वारे हैं।
चित चिंतन जा के श्रीश्याम प्यारे हैं॥
जीवन सफल हो गए हैं हमारे - चलो चलो...
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