तेरे चलये से चले नईया गरीब की
तूने बदल दी माँ मेरी रेखा नसीब की
तेरे चलये से चले नईया गरीब की
आया जो तेरे दर पे माँ एहसान है तेरा ,
किस्मत बनाना भगतो का बस काम है तेरा,
तेरे ही हाथो सोंप दी मैंने ये जिन्दगी
तेरे चलये से चले नईया गरीब की
हस्ता चेह्कता घर मेरा तूने ही तो दियां,
औकात ये न थी मेरी तुमने बना दियां
दरबार में तेरे ये सिर झुकता यु ही नही
तेरे चलये से चले नईया गरीब की
तेरी किरपा न होती तो कैसे ये घर चलाते
तेरी दया बिना पवन बचो को क्या खिलाते
मुझे आज भी फिकर नही कल भी फिकर नही
तेरे चलये से चले नईया गरीब की