सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा राज पाठ सब छोड़ दिया
सत्य निभाने राजा हरिश्चंद्र अपने सुख को छोड़ दिया
सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा राज पाठ सब छोड़ दिया
राज कोस सब दान मैं ले लिया साधु स्वप्न मै आकर के
राजन अपना वचन निभाओ या तू उसको तोड़ दिया
सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा...
पत्नी के संग मै बेटे को ब्राह्मण के घर बेच दिया
राजा ने फिर खुद को भी भंगी हाथो सौप दिया
सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा...
काले नाग ने काट लिया जब रोहित लेने फूल गया
लाश को लेकर तारा पहुंची देख के मन मै रुदन किया
राजा मांगे मरघट का कर, रानी नै मुखड़ा मोड़ लिया
सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा...
डस गयो कालो रे कंवर रोहितास नै
छाती भर आवे बेटा देखूं तेरी लाश नै
कर मै कहा से दूंगी स्वामी कफ़न का भी कोई थोर नहीं
वचन निभाएंगे हम रानी इसके आगे जोर नहीं
सत्य धर्म पर दुनिया तज दी, अब क्यों दिल को तोड़ दिया
सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा ...
कोई सोवे सुख की निंदा,
कोई जुर जुर रोवे,
राम करे सो होवे
साडी का कर रूप मै देने रानी हाथ लगाया है
काँप उठा इन्द्रासन भी, जब राजन हाथ बढ़ाया है
"प्रेम" कहे मुनि धन्य धन्य तू , सत्य से नाता जोड़ लिया
सत्य ना छोड़ा धर्म ना छोड़ा ..