हठ कर बैठ्यो जाट साँवरा तन्ने आनो सै,
धरा राबड़ी रोट श्याम तन्ने भोग लगाणो सै,
तन्ने मेवा मिश्री भावे,
माखन पर लार टपकावे,
ये रोटी राबड़ी खाटी,
हरी मिर्च देख घबरावे,
खाटी मीठी छाछ श्याम तन्ने पी जाणी सै,
धरा राबड़ी रोट,
श्याम तन्ने भोग लगाणो सै,
मैं मोटी बुद्धि वालो ,
काई मोटा रोट बणायो,
बस एक रोट तू खा ले,
फिर रहसी धायो धायो,
नखरा श्याम दिखावे मत ना,
पक्को श्याणो सै,
धरा राबड़ी रोट,
श्याम तन्ने भोग लगाणो सै,
जब तक श्याम ना जिमाउं,
खेती पर काई जाऊँ,
मैं कई दीना को भूखो,
श्री श्याम नाम ही गाऊं,
पड़ा घनेरा काम श्याम,
खेती पर जाणो सै,
धरा राबड़ी रोट,
श्याम तन्ने भोग लगाणो सै,
या देख जाट की भक्ति,
साँवरियो दोड़्यो आयो,
झट रोट राबड़ी जिम्यो,
और जाट बैठ जिमायो,
कहे रमेश भक्ता रो मोहन,
मीत पुराणों सै,
धरा राबड़ी रोट,
श्याम तन्ने भोग लगाणो सै,