फागण, रंगीला है आया,
फागण, के खुशिया है लाया,
फागण, सबके मन को है भाया,
फागण की मस्ती,
चंग ढ़ोल बजे हैं,
सतरंगी रंगों के,
कलश सजे है,
ग्वालों की टोली लेके,
कान्हा रस्ते में है खड़ा,
मारे है पिचकारी,
भर भर पिचकारी......
कुछ अलग सा है ढंग,
करता है सबको तंग,
देख के कान्हा को,
दुनिया भी है दंग,
रहता ग्वालों के संग,
लड़ता माखन की जंग,
चोरी सीनाजोरी का,
इस पे चढ़ा है रंग,
सारे गोकुल का कर डाला,
इसने जीना मुहाल,
मारे है पिचकारी,
भर भर पिचकारी......
हर कोई आ रहा,
श्याम से मिलने को,
हाथों में अपने,
लेके रंग ग़ुलाल,
आज तो मस्ती में गा रहे हैं,
देवी देवता भी,
होली की धमाल,
काले काले कान्हा को,
कर देंगे लाल,
मारे है पिचकारी,
भर भर पिचकारी.......
श्याम के रंग में,
जो भी रंग जाता है,
दूजा रंग कोई,
उसपे ना चढ़ता,
श्याम के प्रेम में,
जो कोई पड़ जाता,
जग की बातों से,
उसे फर्क नहीं पड़ता,
श्याम का प्रेमी बन कर,
वो तो हो गया है निहाल,
मारे है पिचकारी,
भर भर पिचकारी,
फागण की मस्ती,
चंग ढ़ोल बजे हैं,
सतरंगी रंगों के,
कलश सजे है,
ग्वालों की टोली लेके,
कान्हा रस्ते में है खड़ा,
मारे है पिचकारी,
भर भर पिचकारी......