फागण का नज़ारा है,
आयी है खाटु से चिट्ठियाँ, श्याम बाबा ने पुकारा है…..
हमने सुना है फागण में मेला लगता है भारी,
दूर दूर तक है चर्चा मेले की महिमा न्यारी,
जो एक बर जाता है, आता तो है लेकिन दिल हार के आता है…
लाखों लाखों निशान लिए, चलते है सब मतवारे,
सारे रस्ते गूँजते है, श्याम नाम के जय कारे,
सुन सुन के उछलता है, प्रेमी से मिलने को ये खुद भी मचलता है…..
राज उसे जब प्रेमी की यादें बहुत सताती है,
मोड़ता है रुख़ बादल का और फागण रुत आती है,
फागण के बहाने से, मन को सुकून मिले खाटु में जाने से….