देवो के महाराज घनपति देवो के महाराज,
सब से पेहले तुम्हे मनाये
पूरण कर दो काज गणपति देवो के महाराज
देवो के महाराज
लम्बोदर सुन्दर काया मुस्क की सवारी
सूरज हो चाहे चंदा तारे सब है शरण तिहारी ,
काज करे आरम्भ घजानन करे तेरा आगाज
गणपति देवो के महाराज
फूल सुपारी पान और लड्डू तेरे चरण चडाऊ,
आ के मोका दो सेवा का छपन भोग लगाऊ,
जैसी सेवा तुम चाहोगे मैं करुगा तेरी आज
गणपति देवो के महाराज
जिस घर में हो वास तेरा अनधन भेवव आये
गोरव तेरा भजन लिखे है अटल बिहारी गाये,
कोई न जाने माया तेरी
ना जाने कोई राज गणपति देवो के महाराज