तेरे पावन मां नवरात्रों में, ज्योत तेरी जगाए हुए हैं
जबसे लागी मां,लगन मां तुम्हारी,सारी दुनिया भुलाये हुए हैं
तेरे पावन मां नवरातत्रों में....
बजे मंदिरों में शंकर का डमरू, गूंजे दिन रात नारद की वीणा
भवन धोए मां इंद्र तुम्हारा, झूला रुकता पवन का कभी न
देव नगरी मां,देव नगरी से दर्शन को तेरे ब्रम्हा विष्णु भी आये हुए हैं
तेरे पावन मां .....
भैरों हनुमान श्रद्धा से हरपल, तेरे भवनों में देते हैं पहरा
तेरी ममता की समता कोई न, तेरा दिल है समुंदर से गहरा
सारे गंधर्व करने को अर्पण,फूल चुन चुन के लाये हुए हैं
तेरे पावन मां ....
तेरी भक्ति में पल जो भी गुजरे,वो ही फल तो सफल होंगे मैया
धूल चरणों की हमको बनालो,पार होगी हमारी भी नैया
जैसी औरों पे की तूने करुणा,आस हम भी लगाए हुए हैं
तेरे पावन मां.....