तू दाता दातारी सारी तेरी जग ने मानी,
खाटू के बाबा श्याम ये दुनिया तेरी दीवानी
तेरे दर पे सिर जो खुद वो खुद झुक जाते है
संकट हो या हो आफत सब टल जाते है,
तू सब के मन की रखता कहलाये ल्खदातरी,
खाटू के बाबा श्याम ये दुनिया तेरी दीवानी
मीरा के विष को अमृत कैसे कर डाला
सुधामा को तीनो लोक का वर क्यों दे डाला,
रुकमनी भी है हैरान जीवन मारी
खाटू के बाबा श्याम ये दुनिया तेरी दीवानी
आ कहा का ना कोई संगी ना कोई साथी है
खुशियों की कोई आस नजर नही आती है,
इसका भी मुकदर तुम ही सवारों शीश के दानी
खाटू के बाबा श्याम ये दुनिया तेरी दीवानी