धीरे धीरे अखियाँ माँ खोल रही

धीरे धीरे अखियाँ माँ खोल रही है
लगता है मैया कुछ बोल रही है,
धीरे धीरे अखियाँ माँ खोल रही है

दुनिया के नजारे तो बेजान लगते
सूरज चंदा कोडी के समान लगते,
आत्मा में अमृत घोल रही है
लगता है मैया कुछ बोल रही है,

आएगी जरुर मैया आज समाने अपने भगतो का मैया हाथ थाम ने,
बस मिलने का मोका ये टटोल रही है
लगता है मैया कुछ बोल रही है,

वनवारी एसी तकदीर चाहिए आत्मा में एसी तस्वीर चाहिए
ऐसा ये असर दिल पे छोड़ रही है
लगता है मैया कुछ बोल रही है,
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