अगर हाथ रख दे मेरे सिर पे साईं
मुझे फिर किसी की जरूरत नही है
अगर हाथ रख दे मेरे सिर पे साईं
ये फूलो की दुनिया ये हारो की दुनिया
ये लालच में भटके विचारों की दुनिया
अगर पी सकू साईं मस्ती का अमृत किसी बेखुदी की जरूत नही है
अगर हाथ रख दे मेरे सिर पे साईं
दया की है तुमने तो हर बार कर दो
मेरी जिन्दगी पे उपकार कर दो
अगर छोड़ बैठु मैं दामन तुमहरा तो इस जिन्दगी की जरूरत नही है
अगर हाथ रख दे मेरे सिर पे साईं
लुटेरे याहा लुट लेते है मंदिर,
कभी झांकते नही अपने अन्दर
खुदा की जरूरत है एसी जमीन पर याहा आदमी की जरूरत नही है
अगर हाथ रख दे मेरे सिर पे साईं
चलेगे याहा से तेरे काम करके
कमी न रहेगी अंधेरो से डर के
अगर साथ हो साईं बाबा का दीपक
किसी रौशनी की जरूत नही है
अगर हाथ रख दे मेरे सिर पे साईं