ओ साई मेरे आन पड़ा दर तेरे

ओ साई मेरे आन पड़ा दर तेरे,
तुझ बिन काटे कौन ओ साई,
मेरे दुखो के गेरे,
ओ साई मेरे आन पड़ा दर मेरे,

मुझको अपना दास बना लो,
दर दर की ठोकर से बचा लो मैं हु ज़माने का ठुकराया,
मुझपे करो करुणा की शाया,
मेरे दिन भी फेरो साई लाखो के दिन फेरे,
ओ साई मेरे आन पड़ा दर तेरे,

ना मांगू मैं चांदी सोना मुझको नहीं दौलत का रोना,
बस इतनी स अर्ज सुनो न देदो चरणों में एक कोना,
ज्ञान की जोत जला दो मन में करदो दूर अँधेरे,
ओ साई मेरे आन पड़ा दर तेरे,

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