भोला मेरा मस्त मलंगा
भस्म रमा के बैठे तन पे बहे जटा में गंगा,
भोला मेरा मस्त मलंगा
सब देवो में भोले है ये मेरे ओह्डदानी,
भगतो को वर देते पल में एसी है वरदानी,
ना वाधा कोई भी आये ना हो कोई पंगा
भोला मेरा मस्त मलंगा
भाये अंग विराज रही है इनके गोरा माता ,
लौटा भर के जल कोई जो इनके शीश चडाता
उस से ही खुश होती है सोभाग जिनका ठंडा
भोला मेरा मस्त मलंगा
आज सुरेश पे भोले इतनी किरपा रहे तुम्हारी
ज्योति तिवाड़ी पे मेरे भोले किरपा रहे तुम्हारी
मेहर नजर की कर दो अब तो मिट जाए लाचारी,
बीता है संगोष में जीवन अब तो कर दो अचम्भा
भोला मेरा मस्त मलंगा