एक हाथ तिरशूल विराजे इक हाथ में डमरू साजे,
गल सर्पो की माला सोहे जटा में गंगा धारण,
तेरी महिमा पार शंकरा कैसे करू उच्चारण,
तीन लोक के मालिक तुम हो इस लिए तू तिरलोकी,
आई धरा पे बहती गंगा जटा में अपने रोकी,
तू विष धर है तू गंग दर है कितने तेरे उदहारण,
तेरी महिमा पार शंकरा कैसे करू उच्चारण,
भस्मा सुर को भोले पण में आ कर के वरदान दियां,
पल में प्याला विष का पी कर देवो का समान किया,
तेरे नाम का सुमिरन करते खुद लंका में रावण,
तेरी महिमा पार शंकरा कैसे करू उच्चारण,
नाम तेरे गूंजे है जग में जय बाबा बर्फानी,
भूखे को जल देने वाला और प्यासे को पानी,
कृष्ण वनवरा तुझे मिलने का ढूंढे कोई कारण,
तेरी महिमा पार शंकरा कैसे करू उच्चारण,