धाम काशी में आज हम जाए
जाके गंगा में डुबकी लगाये,
विशव के नाथ को धाये हर दम,
देव दीपावली आज मनाये संग हम
गंगा के तट पर दीये हम जलाए
मन के अँधेरे को दूर छोड़ जाए,
इन लवो पे प्रभु बस तेरा नाम हो
जब तक हो अपनी सांसो में ये दम,
देव दीपावली आज मनाये संग हम
इस शुभ वेला में कहे दिल मेरा छुटे कभी न ये भोले संग तेरा
न बुलाना कभी हे विशव नाथ जी,
अपनी भगती ओ देवा न हो कम
देव दीपावली आज मनाये संग हम