मैं तो चली रे खाटू मिलने श्याम से,
मैं तो चली मैं तो चली
मैं तो चली रे खाटू मिलने श्याम से,
महिमा सुनी है जब से तेरी हो गी मैं दीवानी,
अब नही लगता मन कही तेरे बिन शीश के दानी
बाँध ली अपनी गठरी मैंने लेली ध्वजा निशानी
पैदल ही चली घर से तेरी श्याम दीवानी
मैं तो चली रे खाटू मिलने श्याम से,
देखी रोनक की खाटू की तेरी श्याम नगरी भा गई ,
आँखों से उतर के श्याम छवि मेरे दिल में समा गई
कितनी प्यारी कितनी सुंदर है ये कितनी सुहानी
नाचू होके मगन मैं बाबा तेरी श्याम दीवानी
मैं तो चली रे खाटू मिलने श्याम से,
स्वर्ग से सुंदर धाम तुमहरा बाबा खाटू वाले
रूचि को रखले चरनो में जीवन तेरे हवाले
राज सुनाओ मुझ्को श्याम प्यारे की कहानी
गाएगी महिमाँ मेरे बाबा तेरी श्याम दीवानी
मैं तो चली रे खाटू मिलने श्याम से,