किसको कहूं मैं अपना किसको कहु पराया,
हर एक सख्श ने है दिल मेरा दुखाया,
किसको कहूं मैं अपना,
तेरे सिवा ये बाबा कोई समज न पाया,
हर एक सख्श ने है दिल मेरा दुखाया,
किसको कहूं मैं अपना.....
तेरे तो मुझपे बाबा एहसान ही बहुत है,
फिर भी कभी न कहता एहसान मंद तू है,
हमदर्द बन के सब ने है दर्द को बढ़ाया,
दिल को सकूं बाबा चरणों में तेरे आया,
किसको कहूं मैं अपना....
मुझको नहीं जरूरत के मुझको कोई समजे,
तू जनता है मुझको ये बात ही बहुत है,
मैं पापी हु या कपटी ये जनता तू है,
मैं हार जब भी बाबा तूने गले लगाया,
किसको कहूं मैं अपना.....