ना माने रे ना माने रे हे माता काली

झटकाए लट काली काली लम्बे लम्बे कदम बड़ा ली,
खून से खप्पर को भर डाली,
ना माने रे ना माने रे हे माता काली

इक हाथ खडग लिए दूजे हाथ में है तलवार,
रकत भीज के शीश काट ली चंडी कर ली वार पे वार,
इक बूंद न गिरी जमीन पर,खून दुष्टों का पी डाली,
ना माने रे ना माने रे हे माता काली

अखो से चिंगारी छोडे मुख से माँ छोड़े ज्वाला,
क्रोध भयंकर है काली का दूर हटे आने वाला,
सुनो युद्ध की इस भूमि पर खून से छाई है लाली,
ना माने रे ना माने रे हे माता काली

शांत हुई न जब रणचंडी जब मचा हुआ था हाहा कार,
तब काली का क्रोध मिटाने आये निरंजन शिव त्रिपुरार
पाँव पड़ा जब शिव जी के उपर जीब चंडिका ने निकाली,
ना माने रे ना माने रे हे माता काली
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